Monday 23 November 2009

सदाचारी मनुष्य

सदाचारी मनुष्य बुद्धिवादी से कहीं अधिक शक्तिमान है। चरित्रकी उन्नति होने से नाना प्रकार की सिद्धियों और गुप्त शक्तियोंकी प्राप्ति होती है। जो सदाचार में उन्नति करते हैं, नव-निधियां उनके चरणों में लोटती है, वे सदा उनकी सेवा में प्रस्तुत रहती है सच्चरित्रता आध्यात्मिकता के साथ-साथ चलती है।

नैतिक उन्नति

उचित विचार, उचित प्रयास, उचित कर्म, उचित चर्चा आदि मनुष्य की नैतिक उन्नति के लिए अत्यन्त विचार-वान सिद्धान्त है। सदाचार या उचित आचरण से मनुष्य नैतिक बनता है औरआत्म-तत्त्व या ब्रह्मज्ञान पाने योग्य हो जाता है।

वैभवों को पहचानो।

अपने दैवी वैभवों को पहचानो। ब्रह्म की महिमा का अनुभव करो।अपनी स्वतन्त्रता, अपना सच्चिदानन्द स्वभाव, अपना महा केन्द्र,आदर्श और लक्ष्य कभी न भूलो। उस प्रकाश, ज्ञान, प्रेम, शान्ति,सुख और आनन्द के समुंद्र में सदा आनन्दमग्न रहो।

सफलता का सूत्र

विकट परिस्थितियों पर विजय पाने और सफल बनने के लिए दृढ़ लगन और अनहत धैर्य की आवश्यकता है। साधारण सी घटना से विचलित नहीं होना चाहिए और न ही धैर्य का त्याग करना चाहिए
जब कभी तुम उभय-संभव तर्क में पड़ जाओ, तो निश्चित करने के लिए निपुण बनना चाहिए,जिससे तुम्हे सीधी सफलता प्राप्त हो सके। इसके अति सूक्षम और कुशाग्र रहनी चाहिए।

Saturday 21 November 2009

  1. सदा मस्तिष्क शान्त रखना चाहिए। बहे हुए दूध पर चिल्लाने से क्या लाभ? घटना घट चुकी है। हंस हंस कर विफलताओं का प्रतिकार करनाहोगा । जो कुछ भी करो अच्छे ढ़ंग से करो । कठिनाईयों को उड़ा देने के तरीके खोज निकालो
  2. भावनाओं की प्रचुरता और बुलबुले के समानउठने वाली उत्तेजनाओं के प्रवाह में बह न जाओ।उनको वश में करो। आखिर संकट आया क्यों, यहझंझट बरसी कैसे-इस पर मनन करो। परिस्थितियोंपर विजय पाने के लिए अनेकों प्रभावशाली औरआसान तरीकों की सदैव गुंजाईश रहती है।

मनुष्य और ख्याति

व्यवहार और दृढ़ता, लगन और ध्यान,
धैर्य और अप्रतिहत प्रयत्न,
विश्वास और स्वावलम्बन
मनुष्य को ख्यातिमान बना देते हैं।