लोभ जहां, वहां नेह नहीं,
झूठी मुहमल बात।
टूटा छप्पर कब तलक,
सह पाये बरसात।।
शेख फारिद
उचित विचार, उचित प्रयास, उचित कर्म, उचित चर्चा आदि मनुष्य की नैतिक उन्नति के लिए अत्यन्त विचार-वान सिद्धान्त है। सदाचार या उचित आचरण से मनुष्य नैतिक बनता है औरआत्म-तत्त्व या ब्रह्मज्ञान पाने योग्य हो जाता है।
सदा मस्तिष्क शान्त रखना चाहिए। बहे हुए दूध पर चिल्लाने से क्या लाभ? घटना घट चुकी है। हंस हंस कर विफलताओं का प्रतिकार करनाहोगा । जो कुछ भी करो अच्छे ढ़ंग से करो । कठिनाईयों को उड़ा देने के तरीके खोज निकालो भावनाओं की प्रचुरता और बुलबुले के समानउठने वाली उत्तेजनाओं के प्रवाह में बह न जाओ।उनको वश में करो। आखिर संकट आया क्यों, यहझंझट बरसी कैसे-इस पर मनन करो। परिस्थितियोंपर विजय पाने के लिए अनेकों प्रभावशाली औरआसान तरीकों की सदैव गुंजाईश रहती है।